इसमें अपना कैरियर बनाएँ, मिलेगा पैसा ही पैसा!
यदि आप कोई फ़ायदेमंद कैरियर की तलाश में है, तो आपके लिए एक अच्छी ख़बर है। आने वाले 5-10 सालों में एक बिल्कुल अनूठा और पक्के तौर पर मालामाल करने वाला क्षेत्र उभर कर सामने आ रहा है: पागलख़ाने खोलने का।

चौंकिए मत। जैसा लोग नींद के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, बहुत जल्द ही वे पागल होने शुरू हो जाएँगे। रात को एक, दो बजे तक जागना, मोबाइल से खेलते रहना धीरे-धीरे हमें अनिद्रा (insomnia) का शिकार बना रहा। परिणाम: मानसिक असंतुलन।

नींद केवल शरीर को ही नहीं, बल्कि मन को भी आराम देती है। जब हम जागे होते हैं, तो तरह-तरह के विचार से मन में तांडव चलता रहता है। जो एक प्रकार का पागलपन ही है। यक़ीन न हो, तो कभी अपने विचारों को लिखते जाइए, बिना सोचे कि क्या लिख रहे हैं। थोड़ा देर बाद उसे पढ़िए, तो पता चलेगा इस पागलपन के बारे में।

इससे बचने का सरलतम उपाय है नींद। लेकिन उसे भी हम खोते जा रहे हैं। बिना गहरी नींद के शरीर तो बीमार होगा ही, मस्तिष्क भी अपनी सोचने, समझने की क्षमता खोने लगेगा। फिर विक्षिप्तता अपने जड़ें जमाने लगेगी।

इसीलिए, एक पागलख़ाने के लिए निर्माण में निवेश करिए। कुछ सालों में इनकी माँग इतनी बढ़ जाएगी जितनी कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की हुई थी।

स्प्ष्ट है, इन पागलख़ानों का नाम पागलख़ाना न होकर, "सम्पूर्ण चिकित्सा केंद्र", "चेतना विकास गृह", "मानसिक ऊर्जा निकेतन", इत्यादि होगा ताकि पागलों को ये न लगे कि वे पागल हैं; जैसे मरने वालों के आगे स्वर्गवासी, देवलोकवासी, ब्रह्मलीन, अल्लाताला को प्यारे, heavenly resident, प्रभु चरणों में लीन लगा देने से यूँ लगता है मानो वे मरे नहीं।